समंदर की लहरों में दौड़ता हुआ शिप एक विशाल मशीन की तरह होता है, और उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है – प्रोपेलर (Propeller)। यह वही हिस्सा है जो शिप को आगे बढ़ाता है। लेकिन जब जहाज़ की सर्विसिंग होती है, तो प्रोपेलर को बाकी हिस्सों से अलग खास ट्रीटमेंट दिया जाता है। आइए जानते हैं क्यों:
1. प्रोपेलर की पॉलिशिंग क्यों जरूरी है?
समुद्री पानी में नमक और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो धीरे-धीरे प्रोपेलर पर जंग (corrosion) लगाने लगते हैं। इससे उसकी स्मूदनेस और परफॉर्मेंस कम हो जाती है। इसलिए शिप के डॉक में लाने पर प्रोपेलर को पॉलिश किया जाता है ताकि वह फिर से चमकने लगे और स्पीड में कोई कमी न आए।
2. एंटी-फाउलिंग ट्रीटमेंट क्या होता है?
समुंदर के पानी में ऐसे जीव-जंतु होते हैं जो प्रोपेलर पर चिपक जाते हैं जैसे – बार्नैकल्स, एल्गी, मड और समुद्री कीड़े। ये सभी शिप की स्पीड को कम करते हैं और फ्यूल ज्यादा खर्च कराते हैं। इसलिए प्रोपेलर पर Anti-fouling Coating की जाती है जिससे ऐसे जीव दोबारा चिपक न पाएं।
3. कैथोडिक प्रोटेक्शन का कमाल
शिप में कैथोडिक प्रोटेक्शन (Cathodic Protection) एक इलेक्ट्रो-केमिकल प्रक्रिया है जिसमें एक विशेष धातु का बलिदान करके प्रोपेलर को जंग से बचाया जाता है। यह तकनीक समुद्री इंजीनियरिंग में आम है और प्रोपेलर की लाइफ को कई साल तक बढ़ा देती है।
4. फ्यूल की बचत में मददगार
जैसे ही प्रोपेलर स्मूद और क्लीन होता है, वह कम घर्षण (friction) के साथ घूमता है जिससे इंजन को कम ताकत लगती है। इसका मतलब है कम फ्यूल खर्च और ज़्यादा स्पीड — यानी सीधा फायदा।
5. मेंटेनेंस में और क्या-क्या किया जाता है?
- दरारें और क्रैक्स की जांच
- वाइब्रेशन या आवाज़ की जांच
- असंतुलन (imbalance) को ठीक करना
- शाफ्ट एलाइनमेंट को एडजस्ट करना
निष्कर्ष (Conclusion):
एक जहाज़ का प्रोपेलर उसके दिल की तरह काम करता है। उसे चमकाना, कोट करना और जंग से बचाना बेहद जरूरी है ताकि पूरी मशीनरी बिना किसी रुकावट के चले। इसलिए जब भी कोई शिप डॉक में आता है, उसका प्रोपेलर सबसे पहले स्पेशल ट्रीटमेंट पाता है — ताकि वो फिर से समुंदर को चीरता हुआ दौड़ सके।