तीन अलग-अलग लंबाई की मोमबत्तियाँ अलग-अलग समय पर क्यों बुझती हैं? | Why 3 Burning Candles of Different Lengths Extinguish at Different Times

क्या आपने कभी देखा है कि जब आप तीन अलग-अलग लंबाई की मोमबत्तियाँ एक साथ जलाते हैं, तो वे एक ही समय पर नहीं बुझतीं? कोई पहले बुझ जाती है, तो कोई देर तक जलती रहती है। ऐसा क्यों होता है? यही एक छोटा-सा प्रयोग हमें बहुत बड़ा विज्ञान सिखा सकता है।

1. मोमबत्ती जलने का विज्ञान (Science Behind Candle Burning):

जब मोमबत्ती जलती है, तो उसकी लौ के पास की गर्मी मोम को पिघलाती है। यह पिघला हुआ मोम बत्ती (wick) के जरिए ऊपर चढ़ता है और वहाँ वाष्पित होकर जलने लगता है।
यानी मोमबत्ती की लौ सिर्फ मोम नहीं जलाती, बल्कि मोम के वाष्प (vapour) को जलाती है।

2. लंबाई और गर्मी का संबंध:

छोटी मोमबत्ती की लंबाई कम होती है, इसलिए उसका ऊपरी हिस्सा तेजी से गर्म हो जाता है।
इससे मोम जल्दी पिघलता है और जलने की गति बढ़ जाती है — इसलिए छोटी मोमबत्ती पहले बुझ जाती है।
वहीं, बड़ी मोमबत्ती में ठंडा मोम ज्यादा होता है, जो तापमान को संतुलित रखता है, इसलिए वह लंबे समय तक जलती रहती है।

3. ऑक्सीजन की भूमिका (Role of Oxygen):

लौ को जलने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अगर कोई मोमबत्ती किसी जगह पर कम हवा पा रही है या उसका आसपास तापमान ज्यादा है, तो वह जल्दी बुझ जाती है।
इसलिए वायु प्रवाह (airflow) भी मोमबत्ती की जलने की अवधि को प्रभावित करता है।

4. बत्ती (Wick) की मोटाई और गुणवत्ता:

बत्ती जितनी मोटी होगी, उतना ज्यादा मोम खींचेगी और लौ उतनी बड़ी होगी। बड़ी लौ ज्यादा मोम जलाएगी — यानी जल्दी खत्म होगी।
इसलिए हर मोमबत्ती की बत्ती अलग होने से भी जलने का समय बदलता है।

5. मोम की गुणवत्ता और तापमान:

हर मोम (wax) एक जैसे तापमान पर नहीं पिघलते। कुछ पैराफिन वैक्स जल्दी पिघल जाते हैं, तो कुछ बीवैक्स (beeswax) देर से।
अगर तीन मोमबत्तियों का मोम अलग-अलग प्रकार का है, तो उनका जलने का समय भी अलग होगा।

6. प्रयोग करके देखें (Do It Yourself):

तीन मोमबत्तियाँ लें — एक छोटी, एक मध्यम और एक लंबी।
सभी को एक ही जगह पर जलाएं और समय नोट करें कि कौन सी सबसे पहले बुझती है।
आप खुद देखेंगे कि लंबाई और मोम की मात्रा जलने के समय को सीधे प्रभावित करती है।

7. विज्ञान क्या कहता है? (Scientific Explanation):

मोमबत्ती के जलने की दर (burn rate) तीन चीज़ों पर निर्भर करती है —

  1. ऊष्मा ऊर्जा (heat energy)
  2. वाष्पीकरण दर (rate of wax vaporization)
  3. ऑक्सीजन उपलब्धता (oxygen availability)

जब लौ गर्मी पैदा करती है, तो मोम पिघलता है। जितना ज्यादा मोम पिघलेगा, उतनी जल्दी मोमबत्ती खत्म होगी। इसलिए अलग लंबाई की मोमबत्तियों की ऊर्जा संतुलन अलग-अलग होता है — और वे अलग समय पर बुझ जाती हैं।

8. निष्कर्ष (Conclusion):

तीन अलग-अलग लंबाई की मोमबत्तियाँ अलग-अलग समय पर बुझती हैं क्योंकि हर मोमबत्ती की ऊष्मा संचय क्षमता (heat retention), मोम की मात्रा, और ऑक्सीजन उपयोग दर अलग होती है।
यानी, यह केवल एक दिखने वाला फर्क नहीं, बल्कि विज्ञान का अद्भुत उदाहरण है — जहाँ हर लौ अपनी “जलने की कहानी” खुद लिखती है।

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