Thailand में लड़कियों की सबसे बड़ी समस्या – लिंग अनुपात और लड़कों की कमी

थाईलैंड में प्रति 100 पुरुषों पर लगभग 110 महिलाएं हैं। यह संख्या इतनी बड़ी भले ही न लगे, लेकिन जब यह आंकड़ा पूरे देश में लाखों तक पहुँचता है, तब इसका असर स्पष्ट दिखता है –
शादी न हो पाना,
अकेलापन,
विदेशियों से विवाह की बढ़ती प्रवृत्ति,
और समाज में लिंग आधारित तनाव

इतनी बड़ी समस्या कैसे बनी?

1. पुरुषों की कम संख्या:

  • सड़क दुर्घटनाओं, आत्महत्या, नशा और स्वास्थ्य कारणों से पुरुषों की मृत्यु दर अधिक है।
  • थाईलैंड में कई पुरुष शादी नहीं करना चाहते या LGBTQ+ कम्युनिटी से जुड़ रहे हैं।

2. लड़कियों की शादी में बाधा:

  • परिवारों का दबाव और सामाजिक उम्मीदें बढ़ रही हैं।
  • लड़कियों को उपयुक्त जीवनसाथी नहीं मिल पा रहे, जिससे अविवाहित महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

3. समाज में बदलाव:

  • कई महिलाएं अब विदेशी पुरुषों से शादी कर रही हैं।
  • पारंपरिक रिश्तों और परिवार की अवधारणा बदल रही है।

सामाजिक प्रभाव

  • मानसिक तनाव: अकेलापन और भविष्य की चिंता महिलाओं में अवसाद (depression) का कारण बन रही है।
  • समाजिक असंतुलन: समाज में एक संतुलित ढांचे की कमी दिखने लगी है, जिससे सामाजिक रिश्तों पर असर हो रहा है।
  • आर्थिक असर: विवाह से जुड़े व्यवसायों जैसे शादी ब्याह, रिश्तेदारियों, बच्चों की शिक्षा आदि पर भी प्रभाव पड़ा है।

सरकार की भूमिका

थाई सरकार ने इस पर कई प्रयास किए हैं, जैसे:

  • जनसंख्या नियंत्रण नीति में बदलाव
  • विवाह और परिवार योजनाओं के लिए प्रोत्साहन
  • मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन की सुविधा

लेकिन यह बदलाव धीरे-धीरे असर दिखा रहे हैं।

क्या ये समस्या और देशों में भी हो सकती है?

बिलकुल! भारत, चीन, जापान जैसे देशों में भी लिंगानुपात को लेकर समस्याएं उभर रही हैं।
थाईलैंड जैसे देश एक “सामाजिक चेतावनी” बन चुके हैं कि यदि समय रहते लिंग संतुलन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या वैश्विक संकट बन सकती है।

निष्कर्ष:

थाईलैंड में लड़कियों को लड़कों की कमी जैसी समस्या से जूझना पड़ रहा है, जो न सिर्फ एक व्यक्तिगत मुद्दा है बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करने वाली चुनौती बन चुका है।
अब वक्त है चेतने का — जनसंख्या और समाज के संतुलन की ओर कदम बढ़ाने का।

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