सड़क की मोटाई Road Thickness हर देश में अलग क्यों होती है? | जानिए इसकी असली वजह

क्या आपने कभी गौर किया है कि भारत में बनी सड़कें कुछ ही सालों में टूटने लगती हैं, जबकि अमेरिका, जापान या यूरोप में बनी सड़कें सालों तक सही-सलामत रहती हैं? इसका एक मुख्य कारण है – सड़क की मोटाई (Road Thickness)। लेकिन सवाल ये उठता है कि हर देश की सड़क की मोटाई अलग-अलग क्यों होती है? आइए इसका वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग आधार जानते हैं।

अलग-अलग देशों में सड़क की मोटाई Road Thickness क्यों अलग होती है?

1. मौसम (Climate):

हर देश की जलवायु अलग होती है।

  • ठंडे देशों में बर्फबारी और फ्रीजिंग-थॉ प्रक्रिया होती है, जिससे सड़कें जल्दी क्रैक हो सकती हैं। इसलिए वहाँ सड़कें ज़्यादा मोटी और परतदार बनाई जाती हैं।
  • वहीं भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों में गर्मी, बारिश और धूप से डामर जल्दी पिघलता है, जिससे सड़कें उखड़ने लगती हैं।

2. ट्रैफिक का लोड (Traffic Load):

  • विकसित देशों में ट्रैफिक लोड का पूरा डाटा लेकर उसी के अनुसार मोटी सड़कें बनाई जाती हैं।
  • भारत में कई बार ऐसे लोड को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है या रोड ओवरलोडिंग के कारण जल्द खराब हो जाती है।

3. बजट और निर्माण गुणवत्ता (Budget & Quality):

  • विदेशों में सड़क निर्माण के लिए बड़ा बजट और प्रॉपर मेंटेनेंस होता है।
  • वहीं भारत में अक्सर सड़कें सीमित बजट में, टेंडर सिस्टम और भ्रष्टाचार के कारण जल्दी खराब हो जाती हैं।
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4. मिट्टी की प्रकृति (Soil Condition):

  • भारत के कई हिस्सों में मिट्टी कमजोर होती है (ब्लैक सॉयल, लोम मिट्टी), जो सड़क की नींव को कमजोर करती है।
  • अन्य देशों में पहले जियो-टेक्निकल स्टडी कर के मिट्टी की मजबूती के अनुसार बेस लेयर बनाई जाती है।

5. इंजीनियरिंग स्टैंडर्ड (Engineering Standards):

  • भारत में IRC (Indian Road Congress) के मानक होते हैं लेकिन उनका पालन पूरी तरह नहीं होता।
  • वहीं अमेरिका जैसे देशों में AASHTO जैसे स्ट्रिक्ट रोड स्टैंडर्ड लागू होते हैं।

रोड की परतें (Typical Road Layers)

  1. Subgrade (नींव मिट्टी)
  2. Sub-base (WBM Layer)
  3. Base Course (GSB or Bitumen Macadam)
  4. Surface Course (Asphalt या Concrete Layer)

विदेशों में इन परतों की मोटाई 50cm से भी ज्यादा होती है, जबकि भारत में कई बार पूरी सड़क की मोटाई 20-25cm तक सीमित रहती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

भारत और अन्य देशों की सड़कों में जो सबसे बड़ा अंतर है, वो है – सोच, तकनीक, बजट और मेंटेनेंस।
जहाँ एक तरफ विदेशों में हर सड़क को इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से डिजाइन किया जाता है, वहीं भारत में अक्सर लोकल जरूरतों और राजनीतिक फैसलों के आधार पर सड़कें बनती हैं।

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