कैवियार हमेशा मोती के चम्मच से ही क्यों खाया जाता है? जानिए इसकी असली वजह

क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे महंगी डिश “कैवियार” को हमेशा मोती के चम्मच (Mother of Pearl Spoon) से ही क्यों खाया जाता है? ये कोई सिर्फ दिखावे की बात नहीं है। इसके पीछे छुपा है विज्ञान, स्वाद और परंपरा का रहस्य।

कैवियार क्या है?

कैवियार असल में मछली (विशेषकर Sturgeon मछली) के अंडे होते हैं जिन्हें खास तरीके से प्रोसेस करके परोसा जाता है। ये बेहद कीमती और नाजुक होते हैं। इसका स्वाद ही इसकी असली कीमत बनाता है।

मोती का चम्मच ही क्यों?

कैवियार को धातु (metal) के चम्मच से छूने भर से उसका स्वाद बदल जाता है। धातु में मौजूद आयन कैवियार की बनावट और स्वाद से रिएक्ट करते हैं, जिससे उसका असली स्वाद बिगड़ जाता है।
वहीं, मोती का चम्मच (Mother of Pearl Spoon) स्वाद को बिल्कुल वैसा का वैसा बनाए रखता है — न कोई रिएक्शन, न कोई स्वाद में बदलाव।

विज्ञान क्या कहता है?

धातु जैसे कि स्टील, सिल्वर या गोल्ड में इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्शन होते हैं। ये रिएक्शन कैवियार के नमक और फैट से टकरा कर उसमें धातु जैसा स्वाद भर देते हैं।
पर मोती (Pearl) एक जैविक पदार्थ है — इसमें कोई रासायनिक रिएक्शन नहीं होता।

शाही परंपरा:

पुराने समय से राजाओं, नवाबों और अमीरों के दरबार में कैवियार को मोती के चम्मच से ही परोसा जाता रहा है। ये सिर्फ शाही ठाठ का हिस्सा नहीं था — बल्कि स्वाद की शुद्धता बनाए रखने का तरीका भी था।

क्या आप जानते हैं?

  • कई होटल्स और रेस्टोरेंट्स में अगर कैवियार को मेटल स्पून से परोसा जाए तो ग्राहकों को इसकी शिकायत करने का अधिकार होता है।
  • असली Mother of Pearl Spoon बहुत ही बारीकी से हाथों से बनाया जाता है।

तो क्या कभी मेटल स्पून से खा सकते हैं?

तकनीकी रूप से हाँ, लेकिन स्वाद की बर्बादी होगी। अगर आप असली कैवियार का अनुभव चाहते हैं, तो सिर्फ मोती का चम्मच ही इस्तेमाल करें।

निष्कर्ष:

कैवियार एक नाजुक और कीमती डिश है। इसका असली स्वाद तभी मिलता है जब इसे Mother of Pearl Spoon से खाया जाए। ये कोई स्टाइल नहीं, बल्कि विज्ञान और परंपरा का तालमेल है। अगली बार जब आप कैवियार देखें — याद रखिए, मोती का चम्मच ज़रूरी है।

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