गर्मियों में तरबूज एक ऐसा फल है जो लगभग हर किसी को पसंद आता है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी परेशानी होती है – इसके काले बीज। क्या हो अगर तरबूज में बीज ही न हों? तो चलिए जानिए कि बिना बीज का तरबूज (Seedless Watermelon) आखिर कैसे बनाया जाता है और इसके पीछे कौन-सी लैब टेक्नोलॉजी छुपी हुई है।
1. बिना बीज वाला तरबूज – साइंस का कमाल
बिना बीज वाला तरबूज कोई जादू नहीं बल्कि जेनेटिक साइंस और बायोटेक्नोलॉजी का परिणाम है। इसे प्रयोगशाला में दो अलग-अलग प्रकार के तरबूज को क्रॉस-ब्रीड करके तैयार किया जाता है।
2. डिप्लॉइड और टेट्राप्लॉइड का मिलन
सबसे पहले एक सामान्य Diploid (2N) तरबूज लिया जाता है, जिसमें दो गुणसूत्र सेट होते हैं।
दूसरा होता है Tetraploid (4N) तरबूज, जो एक विशेष रसायन कोल्चिसीन (Colchicine) की मदद से तैयार किया जाता है।
जब इन दोनों को क्रॉस किया जाता है, तो हमें मिलता है:
Triploid (3N) बीज – जिससे उगता है बिना बीज वाला पौधा।
3. ट्राइप्लॉइड पौधा बीज क्यों नहीं बनाता?
Triploid तरबूज पौधे में 3 सेट गुणसूत्र होने के कारण उसकी रीप्रोडक्टिव सेल्स असंतुलित हो जाती हैं। इसी वजह से उसमें बीज नहीं बन पाते। लेकिन फल जरूर बनता है।
4. परागण (Pollination) फिर भी जरूरी

यह जानना जरूरी है कि बिना बीज वाला फल बनने के लिए परागण की जरूरत होती है। इसलिए खेत में कुछ Diploid तरबूज के पौधे भी लगाए जाते हैं ताकि ट्राइप्लॉइड पौधे में परागण हो सके।
5. क्या ये सुरक्षित और स्वादिष्ट है?
बिलकुल! बिना बीज वाले तरबूज का स्वाद सामान्य तरबूज जैसा ही होता है और ये स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होता है। इसमें कोई हानिकारक केमिकल या GMO नहीं होता।
6. खेती में क्रांति
Seedless Watermelon ने खेती और बाजार दोनों में क्रांति ला दी है। यह उपभोक्ताओं को पसंद आता है, किसानों को अच्छा दाम मिलता है और बायोटेक्नोलॉजी को नई पहचान।
निष्कर्ष
बिना बीज का तरबूज सिर्फ एक नया फल नहीं, बल्कि विज्ञान, मेहनत और इनोवेशन का नतीजा है। अब जब भी आप ऐसा तरबूज खाएं, तो याद रखिए – ये खेत से पहले लैब में जन्मा था।