एरोप्लेन और रेल में सेफ्टी मटेरियल की जांच कैसे होती है? | Magnetic Particle Testing Explained

Magnetic Particle Testing (MPT) एक Non-Destructive Testing (NDT) तकनीक है जिसका उपयोग विशेष रूप से लोहे और उसके मिश्र धातुओं (ferromagnetic materials) की जांच के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मेटल में छिपी हुई दरारों (cracks), जॉइंट डिफेक्ट्स या सतही खामियों को पकड़ना होता है

एरोप्लेन और रेल में इसकी जरूरत क्यों होती है?

एरोप्लेन और रेल जैसे परिवहन साधनों में बहुत से मेटल पार्ट्स होते हैं जो भारी भार और वाइब्रेशन को झेलते हैं। अगर इन मेटल्स में किसी भी प्रकार की दरार, खामी या जंग छिपी रह जाए तो वह बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

Magnetic Particle Testing कैसे काम करती है?

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इस तकनीक में निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  1. मैग्नेटाइजेशन: पहले उस मेटल पार्ट को एक शक्तिशाली मैग्नेट से magnetize किया जाता है।
  2. मैग्नेटिक पाउडर का छिड़काव: इसके बाद उस सतह पर सूखा या गीला magnetic powder डाला जाता है।
  3. डिफेक्ट का पता लगाना: अगर मेटल में कहीं दरार होती है तो वह मैग्नेटिक फ्लक्स को तोड़ देती है। उस स्थान पर पाउडर जमा हो जाता है
  4. डिमैग्नेटाइजेशन और सफाई: जांच के बाद मेटल को डिमैग्नेट किया जाता है और उसे साफ किया जाता है।

एरोप्लेन में Magnetic Particle Testing का महत्व

एयरक्राफ्ट की विंग, फ्यूसलेज, इंजन कंपोनेंट्स, और लैंडिंग गियर जैसी जगहों पर यह तकनीक बेहद आवश्यक होती है।
MPT का उपयोग विमान के छोटे-छोटे हिस्सों में दरार, fatigue cracks या manufacturing flaws को ढूंढने के लिए किया जाता है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष (Conclusion)

Magnetic Particle Testing एक बेहतरीन और भरोसेमंद तरीका है जिससे हम एयरप्लेन और रेल जैसी हाई-टेक मशीनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
तो अगली बार जब आप ट्रेन या फ्लाइट में बैठे हों, तो याद रखें – आपकी सुरक्षा के लिए एक अदृश्य शक्ति काम कर रही है, जिसका नाम है Magnetic Particle Testing

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