Fighter Jets को लंबी दूरी की उड़ानों और युद्ध के समय ज्यादा समय तक हवा में रहने के लिए mid-air refueling की ज़रूरत होती है। ये प्रक्रिया बेहद सटीक और खतरनाक होती है क्योंकि इसे हज़ारों फीट की ऊंचाई पर, हवा में तेज़ गति से उड़ते हुए करना होता है।
Refueling के दो मुख्य सिस्टम:
1. Boom Refueling System:
इस सिस्टम में एक rigid pipe (boom) होता है जिसे सीधे receiver aircraft के fuel port से जोड़ा जाता है। इसे tanker aircraft में बैठा एक boom operator कंट्रोल करता है। यह सिस्टम तेज़ fuel transfer के लिए जाना जाता है, लेकिन इसे operate करना और सही से align करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
फायदे:
- तेज़ fuel transfer
- automatic control
नुकसान:
- Jet में टकराने का खतरा
- Operate करने के लिए skilled boom operator चाहिए

2. Probe-and-Drogue System:
इसमें fighter jet के आगे लगे probe को हवा में लटकती flexible hose के end में लगी drogue (basket) में डालना होता है। यह सिस्टम थोड़ा flexible होता है लेकिन pilot को पूरी प्रक्रिया को manually align करना पड़ता है।
फायदे:
- ज्यादा flexible
- कई jets एक साथ refuel हो सकते हैं
नुकसान:
- Manual alignment ज़रूरी
- turbulence में connect करना मुश्किल
कौन सा सिस्टम ज्यादा challenging है?
अगर देखा जाए तो दोनों सिस्टम के अपने फायदे और खतरे हैं, लेकिन Probe-and-Drogue System में pilot को खुद से basket में probe डालना होता है जो ज्यादा मुश्किल काम है, खासकर bad weather या combat zones में।
वहीं Boom System में speed ज्यादा होती है लेकिन boom operator की गलती से बड़ा हादसा हो सकता है।
🇮🇳 भारतीय वायुसेना कौन सा सिस्टम इस्तेमाल करती है?
भारतीय वायुसेना आमतौर पर Probe-and-Drogue System का इस्तेमाल करती है। हमारे Su-30 MKI, Mirage 2000 और अन्य jets इस तकनीक से refuel होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
Fighter Jet में हवा में refueling एक ऐसा critical operation है जिसमें ज़रा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। चाहे वो Boom System हो या Probe System, दोनों में high skill और precision की ज़रूरत होती है। आज की टेक्नोलॉजी ने इसे काफी advanced बना दिया है, लेकिन चुनौती अब भी बनी हुई है।