जब भी कोई एरोप्लेन उड़ान भरने वाला होता है, उससे पहले उसे कई तकनीकी और सुरक्षा जांचों से गुज़रना पड़ता है। यह प्रक्रिया इसलिए जरूरी है ताकि उड़ान के दौरान किसी भी तरह की खराबी या दुर्घटना से बचा जा सके।
1. Pre-Flight Inspection (पूर्व उड़ान जांच)
यह सबसे सामान्य और जरूरी जांच होती है, जिसमें पायलट या ग्राउंड क्रू विमान के बाहरी हिस्से, जैसे कि पंख, इंजन, लैंडिंग गियर और कंट्रोल सरफेस को चेक करते हैं।
2. Daily Check (दैनिक जांच)
हर दिन विमान के उपयोग से पहले एक शॉर्ट टेक्निकल जांच की जाती है जिसमें फ्यूल सिस्टम, ब्रेक्स, हाइड्रोलिक सिस्टम और लाइट्स की जाँच होती है।
3. A-Check (हर 400-600 उड़ान घंटे पर)
इसमें विमान की सामान्य कार्यप्रणाली और छोटे-मोटे हिस्सों की जांच होती है। इसे हैंगर में किया जाता है और इसमें कुछ घंटों का समय लगता है।

4. B-Check (हर 6-8 महीने में)
यह A-check से थोड़ा बड़ा होता है जिसमें सिस्टम चेंज, ऑयल चेंज, फ्लाइट डाटा रेकॉर्डर की जाँच शामिल होती है।
5. C-Check (हर 20 महीने में)
यह एक बहुत ही विस्तारपूर्वक जांच होती है जिसमें एयरक्राफ्ट का पूरा ढांचा, इंजन, एवियॉनिक्स, और इलेक्ट्रिकल सिस्टम चेक किए जाते हैं।
6. D-Check (Heavy Maintenance)
इस जांच को “Heavy Maintenance Visit” कहा जाता है। इसमें पूरा एरोप्लेन खोला जाता है और गहराई से चेक किया जाता है। इसमें हफ्तों लग सकते हैं।
7. Pilot Checklist & Testing
पायलट उड़ान से पहले अपने उपकरणों की जांच करता है जैसे Altimeter, Compass, Navigation System, Weather Radar आदि।
8. Fuel & Load Balancing Test
फ्यूल की मात्रा, गुणवत्ता और विमानों में लोड का संतुलन भी चेक किया जाता है ताकि फ्लाइट के दौरान संतुलन बिगड़ न जाए।
9. Emergency System Test
फायर सिस्टम, ऑक्सीजन मास्क, लाइफ जैकेट, फ्लाइट रिकार्डर आदि की जांच भी जरूरी होती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
एरोप्लेन की उड़ान से पहले यह सभी जांचें एक सख्त नियम और प्रोटोकॉल के तहत की जाती हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य होता है – यात्रियों की सुरक्षा। यही वजह है कि हवाई यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्रा माना जाता है।