हम सभी कछुए को देखकर यही सोचते हैं कि यह बेहद धीमा जानवर है। लेकिन जब बात शिकार पकड़ने या काटने की आती है, तो कछुए की स्पीड देखकर आप चौंक जाएंगे।
कछुए का शरीर भले ही भारी और धीमा हो, लेकिन उसकी गर्दन सबसे ज्यादा लचीली और तेज़ हिस्सा है। यही वजह है कि जब कछुआ किसी कीड़े, मछली या छोटे जानवर को पकड़ता है, तो उसकी गर्दन अचानक इतनी तेजी से बाहर निकलती है कि शिकार को बचने का कोई मौका ही नहीं मिलता।
कछुए की गर्दन की लचक (Flexibility of Turtle Neck)
कछुए की गर्दन उसके शरीर का सबसे ज्यादा हिलने वाला हिस्सा है।
- कुछ प्रजातियों में यह गर्दन S-आकार में मुड़कर छिप जाती है और अचानक तेजी से बाहर निकलती है।
- कछुए अपनी गर्दन को 180 डिग्री से भी ज्यादा घुमा सकते हैं।
- यही लचक उसे धीमी चाल के बावजूद तेज़ शिकारी बना देती है।
सबसे ज्यादा हिलने वाला हिस्सा (Most Moving Part of Turtle Body)
कछुए का खोल और पैर बहुत धीमी गति से काम करते हैं। लेकिन उसकी गर्दन ही वह हिस्सा है जो लगातार हिलता, मुड़ता और फैलता है।
- जब कछुआ पानी में होता है, तो वह अपने शिकार को पकड़ने के लिए केवल गर्दन का इस्तेमाल करता है।
- उसकी गर्दन में मौजूद मजबूत मांसपेशियाँ और हड्डियों का विशेष ढांचा उसे बिजली जैसी स्पीड देता है।
स्नैपिंग टर्टल का तेज़ बाइट (Snapping Turtle Bite Speed)
स्नैपिंग टर्टल (Snapping Turtle) दुनिया के सबसे तेज़ काटने वाले कछुओं में गिने जाते हैं।
- इनके जबड़े बेहद मजबूत और तेज़ होते हैं।
- यह पलक झपकते ही अपना सिर आगे बढ़ाकर शिकार को पकड़ लेते हैं।
- इनका बाइट इतना तेज़ होता है कि छोटे जानवर तुरंत इनके शिकार बन जाते हैं।
नतीजा (Conclusion)
कछुआ भले ही धीरे-धीरे चलने वाला जीव है, लेकिन उसकी गर्दन और जबड़े उसे बेहद खतरनाक शिकारी बनाते हैं। उसकी गर्दन सबसे ज्यादा हिलने वाला और लचीला हिस्सा है, जो उसे शिकार पकड़ने में मदद करता है। अगली बार जब आप कछुए को देखें, तो याद रखें कि उसका असली हथियार उसकी गर्दन और उसके जबड़े हैं।